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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

नाविक

बीच समंदर में नाव लहरों से जूझती है,
सितम ये कैसा, साहिल पे आ डूबती है।

जिसने काटा हर दाव मुश्किल भँवरों का,
मंजिल पर आ कर, वो पतवार टूटती है।

मुझे डूबते देख कर लहरें भी हैं परेशान,
उसी जगह पर आ-आ कर वो ढूंढती हैं।

वो चिराग जलता नाविक के इंतज़ार में,
उसकी लौ आखिर में लड़कर बुझती है।

जब इस अँधेरे में दिल घबराने सा लगा,
सर्द हवाएँ आ मेरा हाल-चाल पूछती हैं।
🖊️सुभाष कुमार यादव




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

वाह! क्या ग़ज़ब की गहराई है — दर्द भी है, सौंदर्य भी है! 🙌✨
हर शेर दिल को छू कर एक अधूरी सी कसक छोड़ जाता है, कमाल लिखा है आदरणीय यादव सर! 👏🔥
आपका व्याकरण का उपयोग एवं शब्द प्रवाह वाकई लाज़वाब होता है प्रत्येक रचना में,
आदरणीय यादव सर जी को सादर प्रणाम 👏👏

सुभाष कुमार यादव replied

इतनी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद आदरणीय पचौरी सर।🙏🙏

शिवचरण दास said

बहुत खूब. ..सर्द हवाएं हाल चाल पूछती हैं सुन्दर

सुभाष कुमार यादव replied

धन्यवाद दास सर।🙏🙏

Lekhram Yadav said

बहुत खूबसूरत रचना, हमारा भी मन करता है आपकी नाव में सफर करने का, मगर आप तो नाव ही किनारे पर डुबोने को तुले हुए हो , सुप्रभात सहित सादर नमस्कार।

सुभाष कुमार यादव replied

धन्यवाद यादव सर। यही तो समस्या है कि नाव बीच समंदर में नहीं बल्कि किनारे पे आ के डूब गई।🙏

श्रेयसी said

सर्द हवाएंँ आ मेरा हाल.... क्या गज़ब लिखा आपने बहुत सुंदर बहुत ख़ूब लाज़वाब रचना 🙏🙏

सुभाष कुमार यादव replied

धन्यवाद सहित सादर प्रणाम श्रेयसी जी।🙏🙏

Ankush Gupta said

बीच समंदर में नाव लहरों से जूझती है,
सितम ये कैसा, साहिल पे आ डूबती है

वाह वाह बहुत खूब ज़िन्दगी की उलझनें झलकती हैं रचना में

सुभाष कुमार यादव replied

धन्यवाद अंकुश गुप्ता जी।🙏🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

नाव समंदर में डूबे, स्वाभाविक है,पर किनारे पर आकर डूबे, यही कविता का भाव सौंदर्य है।एक उम्दा कवि की लेखन क्षमता यहीं पर निखरती है। शब्दों की लयबद्ध सजावट,कसक भरी कविता। वाह!! मजा आ गया।आपको सादर नमस्कार!!

सुभाष कुमार यादव replied

समीक्षा के लिए हार्दिक आभार समदिल सर जी। सादर प्रणाम।🙏🙏

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