उनको गुज़रे..,
एक ज़माना बीत गया !!
लेकिन क्यूँ लगता,
मिलकर वो अभी गया !!
रिश्तों के क्या मतलब हैं,
कभी जाना नहीं !!
जाते ही उनके..
सब मायने मैं समझ गया !!
चंद लिफाफे पूछ रहे,
मुझसे अक्सर !!
जो लिखता-पढ़ता था,
मुझको..कहाँ गया !!
बहोत दिनों से हिले नहीं,
घर के परदे !!
बुझा-बुझा सा सारा घर,
अब लगता है !!
दरवाज़े की अड़चन से ,
सब समझ गया !!
----वेदव्यास मिश्र
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