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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

उम्र भर

याद करती रही मैं तुम्हें उम्र भर,
पर तुने मुझे कभी याद किया नहीं।
थक गई मैं तुझे बुलाते -बुलाते,
पर तु आज तक आया नहीं।

हर गुफ़्तगु में शामिल मैंने किया तुम्हें उम्र भर,
पर तुमने किसी भी गुफ़्तगु में मेरा ज़िक्र किया नहीं।
दास्तां तुम्हारी सुनाती रही गली-गली,
पर मेरी दास्तां को तुमने कभी सुना नहीं।

दुआ करती रही मैं तेरे लिए उम्र भर,
पर तुमने अपनी दुआ में शामिल मुझे कभी
किया नहीं।
अपना समझती रही मैं तुम्हें,
पर तुमने मुझे कभी अपना समझा नहीं।

हजारों दर्द के बावजूद भी तेरे लिए झूठी हॅंसी
दिखाती रही उम्र भर,
पर तूने मुझे कभी हॅंसाया नहीं।
कितनी ठोकरें खाई मैंने तुझसे मिलने के लिए,
पर तुमने मुझे कभी संभाला नहीं।

चाहती रही मैं तुम्हें उम्र भर,
पर तुमने मुझे एक भी पल चाहा नहीं।
रुसवा होती रही मैं तुम्हारे लिए,
पर तुमने कभी मुझे मान सम्मान दिया नहीं।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

Lekhram Yadav said

क्या मस्त प्रस्तुती है मेरी प्यारी बहना, दिल खोल कर रख दिया। इतना दर्द कहां से लाती हो मुझे भी बता दो। रोज दिल को छलनी कर जाती हो और मैं बेबस होकर रह जाता हूं। आप को मेरा हार्दिक प्रणाम।

रीना कुमारी प्रजापत replied

🙏प्रणाम भय्या, ये दर्द ही तो है जिसने मुझे लिखना सिखाया है वरना मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं कभी कविताएं भी लिखूंगी। दर्द बढ़ता गया और सुनने वाला कोई नहीं तो दर्दों को लिखना शुरू किया और वो दर्द कब कविता बन गए मुझे पता ही नहीं चला, फिर जीना मुश्किल हो गया और समझ आया की दर्द और ज़िंदगी तो एक दूसरे के परम मित्र है तो जीने के लिए हर छोटी छोटी बातों में भी खुशी और हंसी ढूंढने लगी और फिर दर्द और खुशी दोनों को कागज पर बयां करने लगी और इन तम्मम बड़े बड़े दर्दों और छोटी छोटी खुशियों ने मुझे एक कवयित्री बना दिया। आप ने मेरी इस रचना को और दर्द को समझा बहुत बहुत आभार आपका।

फ़िज़ा said

Bahut sundar rachna... dil ka sara drd hai is rachna m. Aur hmari life m ek asa shaks jarur hota ha jise ham ye rachna dedicate kr skte hain. Dhnyabad aapka itna acha likhne ke liye.

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanku so much

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

हर गुफ़्तगु में शामिल मैंने किया तुम्हें उम्र भर, पर तुमने किसी भी गुफ़्तगु में मेरा ज़िक्र किया नहीं। दास्तां तुम्हारी सुनाती रही गली-गली, पर मेरी दास्तां को तुमने कभी सुना नहीं। Waah bahut khoob Adarneey Reena Mam, Bahut sundar, Pranam Sweekar Karein 🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

प्रणाम भाई, दो दिन से कहा चले थे आप, सब ख़ैरियत तो है

ताज मोहम्मद said

यूं लगा जैसे आप सामने बैठी ये रचना सुना रही है। बहुत खास अंदाज और अल्फाजों को आपने इस रचना में उतारा। बहुत ही शानदार।

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत आभार आपका

Vadigi.aruna said

Heart touching lines,very nice mam

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanku Aruna ji

Komal Raju said

Prem m yahi hota ha...aankho m.aasu dekar koi jivan bhar ke liye chod kr chla jata ha.

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