प्यार के बोलो में यकीन मिलाने लगा।
साल अच्छे कटे फिर रौब ज़माने लगा।।
फूल का चुनाव सदाबहार जैसा किया।
खुशबू के असर में आया मुस्काने लगा।।
बड़ा कठिन विषमताओं भरी जिन्दगी।
शक-ओ-शुब्हा की आड़ में सताने लगा।।
जीवन में हार कभी मानी नही 'उपदेश'।
हकीकत में फर्क़ मिला समझाने लगा।।
भरोसा करो अपने आशिक का प्यार में।
बुजुर्ग के सत्संग से प्यार जताने लगा।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद