तू बन के नूर ऐ ईलाही
बस इतना ईनायत कर दे
देखें हैं जो सपने उनमें
ताबीर भर दे।
ऐ हुस्न की मल्लिका तेरे हुस्न की
मेरे नाम सारी ज़ागिर रख दे।
तू बनके नूर ए ईलाही
बस इतना करम कर दे..
सुनी बज़्म को मेरी रंगीन कर दे।
खुशियों की फुहार
थोड़ी इश्क़ की बहार कर दे।
सुनी पड़ी विरानी जिंदगी में
एक नई रूमानियत भर दे।
ऐ दिन ऐ ईलाही
बस इतना सा करम कर दे..
फितरतें लोगों की बदलती नही
महफिलें तुझ बिन सजती नहीं
जो एक बार तू दरस दिखा दे
मुखड़े को अपनी
शुभान अल्लाह दिन में भी
चांद रात कर दे।
सबनम की बूंदों में तू हँसी भर दे
कब से खड़े है दिदारे यार
अब तो इन अखियां को
तृप्त कर दे..
बस धीमी पड़ रही मेरे जिंदगी
में रफ़्तार भर दे..
होगा ये अहसान तेरा
बस तू मुझसे प्यार कर ले।
सोच क्या रही है खड़ी खड़ी
मुझको तू बाहों में भर ले
सपनों को हक़ीक़त कर ले
मुझको तू जी भर के प्यार कर ले
कल नहीं तू आज़ कर ले...
तू मुझको प्यार कर ले
कल नहीं तू आज़ कर ले...
तू मुझको प्यार कर ले...