तुम्हारे लिए
शब्दों का हर कतरा
तुमसे ही जन्मा है,
तुम्हारे नाम की मिठास में
डूबा हर हर्फ़,
रातों की तन्हाइयों में
जागता रहा,
सिर्फ़ तुम्हारे लिए।
अब जबकि संवाद के पुल
खंडहर हो गए हैं,
शब्द मौन हो गए हैं,
जैसे सूखी नदियों के किनारे
बची हो रेत की अंतिम परत।
पर तुम्हारे भेजे सफ़ेद फूल
अब भी गवाह हैं
उन अधूरी खामोशियों की
जो कभी बातों से भरपूर थीं।
हर रात मैं अपने ख्वाबों में
तुम्हारे दिल का रास्ता खोजता हूँ,
पर हर दरवाज़ा
किसी अधूरी कविता-सा
बंद ही मिलता है।
शायद वो दरवाज़ा
तुम्हारी आँखों का आईना था,
जहाँ हर ख्वाब
तुम्हारे नाम से
जगमग करता।
अब इन सफ़ेद फूलों का
क्या करूँ?
जो शहद में लिपटे
तुम्हारे नाम की इबादत करते हैं।
क्या इन्हें तुम्हारी मुस्कान में
बदल दूँ,
या किसी नई कविता की
पंक्तियों में समेट लूँ?
शायद ये फूल
तुम्हारे दिल की दहलीज़ पर
फिर से कोई कहानी कह सकें—
एक ऐसी कहानी
जो बस तुम्हारे लिए हो।
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The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




