तू हिन्दी हो जा और मै उर्दू हो जाऊं
तूं मुझ में समा जा, मैं तुझ में समा जाऊं
दे कोई गालियाँ मुझे तूं उसकी जुबान से निकले
दे कोई गलियाँ तुझे मैं उसके होंठो पर आऊ
तू सागर की तरह फ़ैल जा हर तरफ इंतज़ार में
मिलूँगा तुझ में मैं नाले से आऊ या नदी से आऊ
आजकल तूं हर गली मोहले नफरत बेचता फिरता है
शोर बहुत होगा अगर मैं मोहब्बत की दुकान लगाऊ