हम मुस्कुराए तो वो रुसवा हुए
वो आए थे हमारी खैर खबर लेने
पर न जाने क्यों??
हमें मुस्कुराता हुआ देख
रुसवा होकर चले गए
न झाँकने देना किसी अपने को भी अपने घर के भीतर
लोग तमाशा बनाकर फिर मिलकर तमाशा देखा करते हैं
ज़िन्दगी के सुख-दुख सिर्फ़ हमारे हैं
हमें ही निभाने हैं ,हमें ही सुलझाने हैं
तो दूसरों को उनका गवाह क्यों बनाना है ?
वन्दना सूद