अनजान में फिसले हैं अब आंसू ना बहाना
हम राह के पत्थर हैं हमें ठोकर ना लगाना
बिखरे हैं अगर राह में है कौन बना मुजरिम
कभी हम भी सितारे थे नजर से ना गिराना
कहने को बहुत सारा मगर जुबां ही नहीं है
दिल गम से लबालब है गया अपना जमाना
हर शीश महल में है मुहब्बत ही दफ़न देखो
दीवार लिए पत्थर तो हम नींव का नजराना
है दास जिगर पत्थर हर दिल का फ़साना है
देखा है ज़माने में यूं कहीं अश्क़ का पथराना

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




