हर एक पुराना वादा तोड़ दिया है हमने भी
वो बेवजह मुस्कुराना छोड़ दिया है हमने भी
जब से तुम्हारी गज़लें शोहरत को छूने लगीं
तो लिखना लिखाना छोड़ दिया है हमने भी
एक मुद्दत से हसरत थी चाँद को छूकर देखें
यूं धूप में आना जाना छोड़ दिया है हमने भी
हमारे आईने हमको ही चिढ़ाने लगे हैं इतना
अपने घर को सजाना छोड़ दिया है हमने भी
देखकर दास दुनियां को दिल्लगी में ग़ाफ़िल
राजे दिल लब पे लाना छोड़ दिया है हमने भी