राह चलते ना मिले मुझको मिलने वाले।
कहीं निकल गए होंगे वायदा करने वाले।।
रात भार चाँद को छेड़ा यही कह कहकर।
तुम हो सूरज के भरोसे पर चमकने वाले।।
उन्हें एहसास है वो हसीन अपने दिल की।
मगर आजकल बन गए दिल धड़काने वाले।।
मोहब्बत में हार जाना उनकी आदत बन गई।
मेरा दिल जानता वो मुझे नही समझने वाले।।
मेरे कंधों पर हाथ रखकर दबा देते 'उपदेश'।
उई की आवाज से मेरी रफ्तार बढ़ाने वाले।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद