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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कविता : हम सिर्फ पेट भरते हैं....?

कविता : हम सिर्फ पेट भरते हैं....
हम किचन
पर जाते हैं
अपने लिए
खाना पकाते हैं

फिर उसे थाली पर
डाल खाते हैं
बाद में टॉयलेट शौच
करने जाते हैं

किसी भी हालत में
अपना पेट भरते हैं
हम लोग सभी
सिर्फ यही तो करते हैं
हम लोग सभी
सिर्फ यही तो करते हैं.......

netra prasad gautam




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

वाह! बहुत ही सरल और सटीक तरीके से आपने मानव जीवन की सबसे सामान्य और महत्वपूर्ण आवश्यकता—खानपान और शारीरिक क्रियाओं को प्रस्तुत किया है। यह कविता जीवन के वास्तविक पहलुओं को उजागर करती है, और यह भी दर्शाती है कि हमारी दिनचर्या कितनी साधारण और सामान्य होती है, फिर भी उसमें बहुत गहरे अर्थ छिपे होते हैं। सादर प्रणाम 🙏

Shiv Charan Dass said

वाह वाह

वन्दना सूद said

बहुत सही मुद्दा उठाया आपने केवल अपने लिए खाना पकाना श्रीमद् भागवत गीता के अनुसार भी पाप समान है

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