"तिनका–तिनका समेट रखा है,
लम्हा–लम्हा पास रखा है,
तेरी यादों को हम भूला न सके
इसलिए खुद को तेरी यादों में बांट रखा है,
तिनका–तिनका समेट रखा है...!
तुम समझते खुद को कोई आइना हो अगर
तो हमको आंखों में अपनी तुम बसा के रखो,
हमने पलकों में तुमको,
आंखों में पूरी रात रखा है,
तिनका–तिनका समेट रखा है..!
हूं जो मैं मौन तो तुम कुछ ज़रा हिचकिचा के कहो,
हमने नजरों में तुमको,
अधरों में अपने दिल की बात रखा है,
तिनका–तिनका समेट रखा है
लम्हा–लम्हा पास रखा है...!!
-----कमलकांत घिरी'