जंगल का सिपाही
डॉ. एच सी विपिन कुमार जैन" विख्यात"
मैं नहीं हूँ सिपाही सीमा का, पर एक अलग रण में हूँ,
जंगलों की रक्षा के लिए, हर घड़ी जीवन के पथ में हूँ।
हाथ में बंदूक नहीं, हाथ में है मेरा ज्ञान,
कैसे बचाऊँ पेड़ों को, कैसे बचाऊँ हर जान।
एक तरफ आग की लपटें, दूसरी तरफ अवैध कटान,
हर चुनौती से लड़ता हूँ, रखता हूँ सबका मान।
कभी-कभी अकेले ही, मीलों का सफर तय करता हूँ,
जानवर भी मेरे दोस्त हैं, उनकी भाषा समझता हूँ।
मेरे घरवाले राह देखते हैं, कब आऊँगा घर वापस,
पर जंगल की पुकार सुनकर, नहीं रहता हूँ मैं खामोश।
हर रात मेरी, चाँदनी के साथ गुज़रती है,
हर सुबह, सूरज की किरणों में उभरती है।
ये पेड़, ये पौधे, ये झरने, ये मिट्टी,
मेरे जीवन की कहानी, सब लिखते हैं मेरी।
मैं जंगल का सिपाही हूँ, हूँ प्रकृति का रक्षक,
मुझे सलाम करो, मैं हूँ सच्चा वनरक्षक।