ढलते सूरज के साथ मैं भी ढलती रही।
रात आई करीब तिल-तिल जलती रही।।
ख्वाब सजाये बरसों से तैरते हुए देखे।
उन गहराई में खुद को डूबते देखती रही।।
आज उनका एहसास रात भर जगाए।
उम्मीद के बगैर मोहब्बत में तड़पती रही।।
रिश्ता जानदार समाज के तानेबाने में।
साँस कभी चढ़ती और कभी उतरती रही।।
कोई आकर पूछ ले कभी बेचैन दिल से।
ठहरी छवि मन में 'उपदेश' धड़कती रही।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




