सपनों का जगत
शिवानी जैन एडवोकेटbyss
अचेतन मन की गहराइयों से, उठते ये रंगीन फव्वारे,
दिन भर की सोचों के बिखरे, अनगढ़ से नज़ारे।
कभी भविष्य की झलक दिखाते, कभी बीते पल की याद,
सपनों के इस मेले में, हर इच्छा होती आबाद।
कोई रंग भय का गहरा, कोई सुख का हल्का छींटा,
भावनाओं के मिश्रण से, बनता हर सपना अनूठा।
कभी तर्क से परे की बातें, कभी अद्भुत सी सच्चाई,
सपनों का यह जगत है, रहस्यमयी और गहराई।
इन रंगों को महसूस करो, जानो अपने अंतरमन,
ये बताते हैं दबी इच्छाएं, जीवन का छिपा हुआ धन।
सपनों का यह रंगमंच है, अद्भुत और निराला,
हर रात दिखाता है हमको, एक नया ही उजाला।