डंकी लाल डंक ने , देखा सिटी स्कैन में।
दिमाग में भिनभिना रहे हैं कीड़े,
पीले ,लाल और नीले
भ्रष्टाचारी आम रसीले
करता रहा जीवन भर झोल पर झोल
ईमानदारी से अपना मुंह खोल
अंकी लाल अंक ने केमिस्ट्री पढ़ाई
फायलों को,गायब करने की नई विधि बताई।
इंकी रानी इंक की, आंखों में छा गया अंधेरा।
पड़ गया काला कुत्ता, ज्यों ही हुआ सवेरा।
बगल में था नाला, पैर फिसलते ही मुंह हुआ काला।