मैं जो टूट गया उसका क्या करोगे,
अब बचते ही टुकड़े हैं इन टुकड़ों का क्या करोगे,
यादों में सब भला ही भला लगता है,
हम जो पास थे उसका क्या करोगे।
लौट जाते थे तुम मिलने की उस घड़ी में,
वो घड़ी जो पहने हुए हो,
उसका क्या करोगे,
मिलते ही थे तुम यह कहकर,
अब फिर मिलते हैं,
जब मिले थे उसे पल का क्या करोगे,
आंख से बस आंसू ही तो निकलेंगें,
हर घड़ी में हम तड़प रहे थे उसका क्या करोगे,
मोहब्बत में हम चलो हम कच्चे हैं,
पक्की सड़कों पर चलकर दूर हो गए उसका क्या करोगे,
हमारे जाने के बाद तुम ही हो,
हमारी कब्र हमारी राख के आखरी दिनों में आकर क्या करोगे,
तुम भला जिंदा हो,
हमारी जिंदगी का क्या करोगे।।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




