कविता : पच्चीस की उमर....
देखने में बहुत ही सुन्दर
कमाल की हो
सुनने में आया तुम पच्चीस
साल की हो
सुनो तुम बहुत
बढ़ चुकी
अब तुम्हारी लाली
चढ़ चुकी
मुझे इस बात का
है बहुत गिला
अभी तक तुम्हें कोई हम
सफर भी न मिला
पांच छे साल के बाद
तो तुम बूढ़ी हो जाओगी
एक भी लड़का ढूंढ़ने
पर कहीं नहीं पाओगी
फिलहाल है कि नहीं
किसी से प्यार ?
या जिंदगी भर कुंवारी
रहने का है विचार ?
अगर कोई न मिला
मत शरमाओ
पास आओ गले लगाओ
मेरी हो जाओ
पास आओ गले लगाओ
मेरी हो जाओ.......
netra prasad gautam