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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद की ग़ज़ल - इस बात के गवाह हैं ख़ुद ये ज़माने वाले

"ग़ज़ल"

इस बात के गवाह हैं ख़ुद ये ज़माने वाले!
मिट गए दुनिया से हम को मिटाने वाले!!

अपनी ताक़त पे क्यूॅं इतराते हैं ज़ुल्म ढाने वाले!
मारने वालों से बड़े होते हैं बचाने वाले!!

देश से ग़ुर्बत को मिटाने का दावा करते हैं!
ग़रीबों से रोटियाॅं तक छीन कर खाने वाले!!

वो क्या प्यास बुझाएंगे प्यासों का भला!
लहू तक मुफ़्लिसों का निचोड़ कर पी जाने वाले!!

अपने वक़ार अपनी अना को बेच खाते हैं!
ग़ैरों के क़दमों पे अपने सर को झुकाने वाले!!

कोई भी मज़हब हो तशद्दुद का तरफ़दार नहीं!
धर्महीन हैं बे-गुनाहों का ख़ून बहाने वाले!!

ये दुनिया तुम्हारी निगाहों पे न तनक़ीद करे!
सोच लो अपनी ऑंखों में मुझ को बसाने वाले!!

मुझ से लिपट कर 'परवेज़' उन का रोना ज़ार-ज़ार!
नरगिसी ऑंखों से फिर आज वो मोती हैं लुटाने वाले!!

- आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद
© Parvez Ahmad




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (10)

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फ़िज़ा said

यह ग़ज़ल दिल के तल्ख़ तजुर्बों और समाज के कटु सच को ख़ूबसूरती से उकेरती है, हर शेर में ऐसी तह-ए-दिल की कसक, ऐसा अहसास-ए-हरारत है Jaise महरूमी की रात में सुलगती हुई उम्मीद की चिंगारी।

जयश्री विलास जोधंळे said

बहुत सुदंर रचना

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

👌🌹🌹👌🌹👌 वाह परवेज जी वाह!! आज देश में राजनीतिक माहौल कुछ ऐसा ही बना हुआ है।जिसका दर्द आपके दिल को परेशान किए जा रही है। बेगुनाहों का खून बहाने वाले वास्तव में धर्म हीन हो गए हैं। दर्द,तल्खी, उम्मीद और कठोर व्यंग्य का सुंदर संयोजन 🙏🙏🙏🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

तह-ए-दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया आपका, फ़िज़ा जी! बहुत-बहुत इनायत और नवाज़िश आपकी! आदाब! ❤️🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया आपका, जयश्री जी! आदाब! ❤️🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

अनमोल समीक्षा और ता'रीफ़ में अल्फ़ाज़ों के बे-मिसाल फूल लुटाने के लिए दिल की गहराइयों से बहुत-बहुत शुक्रिया आपका, मनोज जी! आदाब! ❤️🙏

सुप्रिया साहू said

वाह वाह...हर पंक्ति लाज़वाब, वास्तविकता से दर्शन कराती हुई रचना, लोगों के दर्दों को अपना दर्द बनाकर महसूस कर रहे हैं, बहुत खूबसूरत रचना सर 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

लाजवाब समीक्षा और ता'रीफ़ के ख़ूबसूरत अल्फ़ाज़ के लिए तह-ए-दिल बहुत-बहुत शुक्रिया आपका, सुप्रिया जी! बहुत-बहुत नवाज़िश आपकी! ❤️🙏

Lekhram Yadav said

मुझ से लिपट कर 'परवेज़' उन का रोना रोना ज़ार-ज़ार!
नरगिसी ऑंखों से फिर आज वो मोती हैं लुटाने वाले!!
वाह बहुत ही लाजवाब और खूबसूरत रचना, आपको आदाब अर्ज है अहमद भाई।

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

दिल की गहराइयों से बहुत-बहुत शुक्रिया आपका, यादव जी! बहुत-बहुत इनायत और मेहरबानी आपकी! आदाब! ❤️🙏

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