शतरंजी चाल
डॉ. एच सी विपिन कुमार जैन" विख्यात"
बिसात बिछी है, जीवन की रंगत न्यारी,
हर पल एक मोहरा, हर चाल है जारी।
कभी वज़ीर सी दौड़, कभी प्यादे की चाल,
सोच समझकर चलना, हर कदम संभाल।
शतरंजी दुनिया है, घात और प्रतिघात,
कब मात हो जाए, किसका है हाथ?
कभी हाथी सा सीधा, कभी घोड़े की छलांग,
हर रिश्ते, हर सपने का अपना है ढंग।
कभी राजा सा स्थिर, कभी रानी सी चंचल,
मन के ये मोहरे भी करते हैं हलचल।
प्यादे से वज़ीर बनने का हौसला रखो,
हर चुनौती को जीतने का जज़्बा रखो।
कभी दुश्मन की चाल को भांपना ज़रूरी,
कभी अपनी रणनीति में बदलाव भी मजबूरी।
कभी रक्षा का घेरा, कभी आक्रमण की धार,
जीवन की इस बाज़ी में है जीत और हार।