भटकना सिखाता कौन ?
जरूरतें मजबूर कर देती।।
मंज़िल भूल-भुलैया बनी।
वो कैसे अपना पता देती।।
उन राहो पर जिन्दगी निकली।
जो कभी ठिकाना नही देती।।
कुछ किस्मत की मेहरबानी।
कुछ अनबन कुसूर कर देती।।
थक-हार कर चूर हुए 'उपदेश'।
नसीहत जिन्दगी भर देती।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद