सच बोलने पर,
झूठ के जंगल में आग लग जाती है।
भ्रष्टाचारियों के दफ्तर में दंगल मच जाती है।
भागते हैं ऐसे,
पागल कुत्ते पड़ गए हो पीछे जैसे।
याद अपना दौड़ते दौड़ते,
हर एक कदम आता है।
सत्यता और न्याय का,
मतलब समझ में आता है।
न्याय व्यवस्था का मजाक बनाने वालों को,
दफ्तर से जेल का रास्ता नजर आता है।