ज्ञान का ढोंग करते,
अज्ञान में ही डूबे।
सत्य को छिपाकर,
झूठ को ही फैलाते।
शास्त्रों का हवाला देकर,
करते हैं धोखा।
स्वार्थ के लिए,
धर्म को बनाते हैं औजार।
कब तक रहेगा ये पाखंड,
कब तक ये धोखा?
आओ मिलकर करें,
इसका विरोध जोर से।
सत्य बोलना सीखें,
करना कर्म अच्छा।
तभी तो होगा संसार,
सुखी और समृद्ध।