बंजर पड़ी जमीं को सवारना पड़ा मुजे
बादल बनकर उसे यकीं दिलाना पड़ा मुजे
उसे आ नहीं रहा था मुजपर ऐतबार
बारिस बनकर उसपर बरसना पड़ा मुजे
एक अनजान हसीना से मुलाकात के लीये
जाने पहचाने चहेरो से हाथ मिलाना पड़ा मुजे
अबतक किसी ने मेरी और देखा ही ना था
चहेरे पर मेरे काला-टीका लगाना पड़ा मुजे
वादा-खिलाफी उनकी अब समज में आने लगी
आखीर आयने पर गुस्सा निकालना पड़ा मुजे
के बी सोपारीवाला

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




