एक मिनट बिस्तर पर सोचना
बेघर लोगों के बारे में।
मैले-कुचेले कपड़ों में लिपटे
एक बच्चे के बारे में।
ख्याल आए कैसे जीते लोग
शहर की गलियों में।
वो भी इंसान मेरे जैसे दिखते
सोचना उनके बारे में।
जब खुद का जीवन भार लगे
सोचना उनके बारे में।
जिन्हें कुछ बनने लायक नही समझा
उन लोगों के बारे में।
प्रयास करके देखना चाहिए
उन लोगों के बारे में।
जिनके सपने अधूरे 'उपदेश'
अवसर देने के बारे में।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद