बादलो का कारवाँ घुमड कर निकला।
बारिश की चाहत में मेरा दम निकला।।
शोले दहक रहे अन्दर में हूक हूक कर।
हवाओ ने खूब दहकाया दम निकला।।
खतरा कायम रहा 'उपदेश' मोहब्बत में।
ना चाहते हुए भी आँखो से गम निकला।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद