एक आश जमाने की दिलबर ,
वर्षो से प्यासी आँखे थी।
जीवन था अधूरा अब तक जो ,
राते तन्हा तड़पाती थी l
भीगी - भीगी पलकें मेरी ,
रुक रुक कर सांसे चलती थी l
उस रात की बात ना पूछ यार ,
जब मिलन को आँखे प्यासी थी l
पापा तेरे जब आये थे ,
मिलन मधुर संबंध किया l
एक आशा दिल में जगी यार ,
बस वर्षो की प्रतीक्षा फलित हुई l
हमने मांगा था रब से जो ,
ऐसा मुझको उपहार मिला l
मेरी भी दूरी ख़त्म हुई ,
घर आँगन को त्यौहार मिला l
बस साथ तेरा ये बना रहे ,
इतना उपकार रहबर करना l
एक साल की यादों को मेरी,
मौला मेरे ताजी करना l
ख़ुशियो से दामन भर देना ,
घर आंगन को महका देना l
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