तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आए कैसे?
हम ही रह जाएँ, तो फिर लोग डर जाएँ कैसे?
तू कहे, धूप में चल, और छाँव भी न दे,
क़दमों में हो काँटे, और घाव भी न दे।
हम सफ़र चाहें भी तो राह पर आए कैसे?
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आए कैसे?
रंग तू चुनता रहे, और हमें भरना हो,
शब्द तेरे हों सभी, और हमें कहना हो।
हम ही शायर हों अगर, कोई गाए कैसे?
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आए कैसे?
सोच तेरी हो अगर, और ख़्वाब हमारे हों,
दिल भी तू दे न सके, और हक़ हमारे हों।
अब बिना दिल के कोई प्यार जताए कैसे?
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आए कैसे?
हम तो समंदर थे, लहरों में उलझते रहे,
ख़्वाब आँखों में थे, आँसू में बहते रहे।
अब बिना नाव के कोई पार जाए कैसे?
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आए कैसे?
तू कहे, हार भी जा, और जंग भी लड़,
राह तकता रहे और आँख भी न हो गड़।
अब बिना देखे कोई ख़्वाब सजाए कैसे?
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आए कैसे?
शब्द बिखरे पड़े हैं, गीत गाने को कहाँ?
तेरी परछाईं हूँ मैं, ख़ुद को पाने को कहाँ?
अब बिना नाम के कोई याद आए कैसे?
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आए कैसे?

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




