हवा के झोंके से ही सिहर जाते हैं
सूखे पत्ते छूने से ही बिखर जाते हैं I
जब तक पेड़ पर हैं महफूज हैं कुछ
गिर के जाने कहाँ सब उतर जाते हैं I
कोई पैरों तले रौंद देता है रोते नहीं
बेचारे अपनी जुबां से मुकर जाते हैं I
धूप में जलते जाते हैँ सब बेचारे पत्ते
जरा सी बारिश में ही निखर जाते हैं I
पेड़ की रूह जिस्म जान जुबान दास
जीव जंतु परिदों को घर मिल जाते हैँ!