(बाल कविता)
बिना पंख उड़ता है मन
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बहुत तेज चलता है मन ।
मनचाहा करता है मन ।।
गहरी नदियों में जाता,
हीरे-मोती ले आता,
ऊंचे ऊंचे शिखरों पर
बिन पैरों चढ़ता है मन ।
बहुत तेज चलता है मन ।।
उड़न खटोला ले आता,
दूर देश तक ले जाता,
स्वर्गलोक की परियों से
पल भर में मिलता है मन ।
बहुत तेज चलता है मन ।।
राकेट जैसा खूब उड़े,
सूर्य चंद्र से बात करे,
नील गगन में सन-सन-सन
बिना पंख उड़ता है मन।
बहुत तेज चलता है मन ।।
किले हवाई बड़े-बड़े,
पल में जीते बिना लड़े,
महल खयाली कितने ही
क्षण भर में रचता है मन ।
बहुत तेज चलता है मन ।।
सागर में गोता खाता,
पनडुब्बी-सा बन जाता,
खतरनाक शेरों को भी
काबू में करता है मन ।
बहुत तेज चलता है मन ।।
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~राम नरेश 'उज्ज्वल'

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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