ख्वाहिशें इतनी हो गईं हमारी
जरूरतें इतनी बढ़ा लीं हमनें
सहुलियतों में इतना बाँध लिया हमने ख़ुद को
कि लौट कर आना अब मुमकिन नहीं रहा..
वन्दना सूद
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सहुलियतों में इतना बाँध लिया हमने ख़ुद को
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वन्दना सूद