खुद को तू पहचान बंदे
तू कहां फंसा पड़ा है।
तुझमें एक आग है
तुझमें कुछ बात है।
बाहर आ इन गुमनामियों से
एक अलग दुनियां तेरे
इंतज़ार में खड़ी पड़ी है।
अब क्यों रुका है तू
तुझे किसकी पड़ी है ।
वक्त यह रेत सा निकल रहा
वक्त का ये कारवां
ख़ुद ब ख़ुद बढ़ रहा।
तू जीत का मशाल है
तू भारत का भाल है।
चीर दे अंधियारों की
झिलमिलाहटों का तू हीं
संसार है।
तेरे लिए सबको प्यार है।
तू तन्हा नहीं
अकेला नहीं
तेरे लिए हीं सारा संसार है ।
दिखा दे हुनर तेरा
पूरे विश्व को इंतज़ार है।
कुछ नवसृजन का
विश्व ये बाज़ार है।
निकल आ अंधेरों से
उजालों को तेरा इंतज़ार है।
तू सबका चहिता बन जा
तुझसे सबको प्यार है।
जिंदगी को भी तुझपे ऐतबार है।
तू उजालों का संसार है।
तेरे लिए सारा जग बेकरार है
तेरा सबको इंतज़ार है..
तेरा सबको इंतज़ार है...