कापीराइट गजल
लोग करते हैं मोहब्बत, जिस्म पाने के लिए
कौन करता है मोहब्बत रूह पाने के लिए
इस जमाने ने जिस्म को बनाया है तिजारत
ये जिस्म लुटते ही रहेंगे दिल बहलाने के लिए
लड़ रहे हैं आज भी ये लोग जिस्मों के लिए
तड़प रही है मोहब्बत रूह पाने के लिए
इस जमाने ने समझा है औरत को खिलौना
यह खेल है बड़ा पुराना इस जमाने के लिए
रूहों की जगह तन को पूजता है जमाना
हर औरत पे हक अपना जताने के लिए
रूहों से अब रिश्ता कौन रखता है यादव
कोई तो आएगा इन को समझाने के लिए
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है