तन-बदन दिखाने का,
फैशन सा चल पड़ा है !!
ये बोल्ड दिखने का,
कुछ होड़ सा लगा है !!
संस्कार संस्कृति का,
यूँ ना करो अनादर !!
ये हाॅट दिखने का,
बस दौर चल पड़ा है !!
फिगर को बिन दिखाये,
क्या काम ना चलेगा !!
कुछ तो शरम करो अब,
आखिर क्या चल रहा है !!
फिल्मों के नाम पर ये,
कैसी है फूहड़ता !!
कुछ पर्सनल तो रक्खो,
तुम्हीं कहो ये क्या है ??
----वेदव्यास मिश्र
सर्वाधिकार अधीन है