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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

तन-बदन दिखाने का - वेदव्यास मिश्र

तन-बदन दिखाने का,
फैशन सा चल पड़ा है !!
ये बोल्ड दिखने का,
कुछ होड़ सा लगा है !!

संस्कार संस्कृति का,
यूँ ना करो अनादर !!
ये हाॅट दिखने का,
बस दौर चल पड़ा है !!

फिगर को बिन दिखाये,
क्या काम ना चलेगा !!
कुछ तो शरम करो अब,
आखिर क्या चल रहा है !!

फिल्मों के नाम पर ये,
कैसी है फूहड़ता !!
कुछ पर्सनल तो रक्खो,
तुम्हीं कहो ये क्या है ??

----वेदव्यास मिश्र


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

प्रणाम आचार्य जी सुप्रभात आपने अच्छा मुद्दा उठाया लेकिन संदर्भ में किया भी किया जा सकता है

वेदव्यास मिश्र said

सही बात है अनुज पचौरी जी, मगर भारतीय सभ्यता और संस्कृति का भी कुछ ध्यान रखा जाये,ये भी ज़रूरी है !! फिर फोकट में यानि फ्री में अंग दिखाने से फायदा भी क्या है !! लोग अपना एकाउंट नम्बर तक किसी को दिखाना पसंद नहीं करते !! सीधे-सीधे अपना पर्सनल लाॅकर दिखाना मेरे व्यक्तिगत विचार में बिलकुल भी समझदारी नहीं है !! सबसे बड़े मुद्दे की बात ,कोई देखे भी तो छितरा कहलाये और जो दीखाये फिर वो कौन है ?? हीरोइन लोगों को तो जिस्म दिखाने का पैसा भी मिलता है और एक आम महिला को क्या मिलता है,आज़ादी !! और ये आज़ादी किस बात की ?? हम अंग्रेज़ों के गुलाम थे..आज़ाद तो हमारे भारतीय लोगों ने करवाया अपना सर कटवाकर..क्या इसी दिन के लिए ?? जय हिन्द !!

वेदव्यास मिश्र said

पचौरी जी, छितरा की जगह कृपया छिछोरा पढ़ें 🙏🙏

Vijay Kumar Pandey pyasa said

बहुत ही खूब वाह वाह 🌹

वेदव्यास मिश्र said

Vijay Kumar Pandey pyasa जी, बहुत-बहुत आभार सहृदय नमस्कार 🙏🙏

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