मायूस आँखों से वो कुछ कहता रह गया
मैं समझ न सकी ये मलाल पलता रहा गया
पकड़ न पाया उसने कांपते हाथों से हाथ मेरा
जब मैंने पकड़ा उसके आँखों से अश्क बहता रह गया
आई आंँधी बुझ गया दीपक तम का बसेरा हो गया
थपेड़ों से बचाया प्यार के फूलों को मगर कहाँ वो खिलता रह गया