प्यार है मुझको लेखन से
शब्दों ने घेरा है मुझे अपने जाल में,
घेरा ऐसा कि
मैं निकलना न चाहूँ इस जाल से,
कभी उलझ जाती हूँ,
कभी सुलझा जाती हूँ,
इन शब्दों को।
लिखती हूँ दुनिया के बारे में,
इस प्रकार कि मैं भी,
पत्रकार बन जाती हूँ।
कभी मेरी बात चुभती है किसी को,
तो कभी मेरी बात अच्छी लगती है किसी को।
एक-एक अक्षर जोड़कर शब्द बनाती हूँ,
मैं संसार के लोगों को,
दुनिया की सच्चाई बताती हूँ।
हां प्यार है मुझे लेखन से,
इसलिए मेरी कलम लिखने में तत्पर रहता है।।
- सुप्रिया साहू