ना रुक तू
ना झुक तू
बढ़ तू
लड़ तू
तू मुकद्दर
का राजा है।
मत भूल
जो लड़ा नहीं
वह हारा है।
सोंच ज़रा
ठहर थोड़ा
लंबी सांस ले
फिर दौड़ लगा
मंज़िल को पा
मेहनत का फल
तू खा।
तू जो चाहेगा
वो पायेगा।
हार तुझसे खार खायेगा।
हार हार हीं रह जायेगा।
कदम खींचने वालें
कदम कदम पर।
गिराने वाले सरे राह
तुझे गिराएगा।
पर गर मंज़िल पर
निगाहें तेरी तो..
तेरा बाल ना बाका
कोई कर पायेगा।
तू मंज़िल तक
आसानी से पहुंच
पायेगा
तब सबकुछ तू पा लेगा...
तब सबको तू पा लेगा..