उसने जब भी जो भी दिया,
सब कुछ चाहे अनचाहे मंजूर किया,
रस्ते गर बंद भी किये हैं हज़ार,
पलटने पर खुले भी मिले हैं बहुत से दरबार
[ऊपर वाले का बहुत बहुत शुक्रिया
उसके साथ साथ लिखन्तु परिवार का भी]
यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है
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The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







