कविता: जिन्दगी धारावाहिक सी
दिनांक:18/08/2025
बताकर जिन्दगी धारावाहिक सी तुम चले गए।
अधूरी कहानी समझाकर मुझको तुम चले गए।
हंसने के संग रोना भी पड़ेगा सिखाना भूल गए।
दुनिया में लोगों से लड़ना पड़ेगा बताना भूल गए।
जिंदगी के उपवन में फूल खिलाकर तुम चले गए।
खुशियों भरी जिंदगी को तुम जिम्मेदारियां दे गए।
रास्ते में पूछा हाल कैसे हो मुस्करा कर कह आए।
याद में उनके जिन्दगी धारावाहिक सी बता आए।
जिंदगी के सफर में पत्थर मिले बताना भूल गए।
हर मोड पर अपराधी मिले आप बताना भूल गए।
रक्षक कम भक्षक अधिक मिले बताना भूल गए।
दुराचारियों से पाला पड़ेगा आप बताना भूल गए।
बच्चों के संग हंसकर जीना मेरा कठिन कर गए।
परिवार समाज में जिंदगी जीना कठिन कर गए।
आपने हमें छोड़ा व मुस्कराते हुए कहा चले गए।
जिन्दगी धारावाहिक सी बताकर कहा चले गए।
सत्यवीर वैष्णव बारां राजस्थान

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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