अंगारों भरे पथ पर, निरंतर चलना है,
परिस्थितियों की लपटों में जलना है,
दहन कर अपने अंदर के अवगुणों का,
स्वर्ण के समान एक दिन चमकना है।
संघर्ष का है यह समय, संघर्ष जारी है,
आज मेरा नहीं चुनौतियाँ कुछ भारी हैं,
चलते हुए गिरना और फिर संभलना है,
मुसीबतों के भँवर से, खुद निकलना है।
स्वर्ण के समान….
सोते या जागते हुए देखा जो सपना है,
इसके अलावा कहाँ, कुछ भी अपना है,
अगर नहीं साथ अपने भाग्य की रेखा,
संघर्ष कर सतत परिश्रम से बदलना है।
स्वर्ण के समान….
बुद्धिबल और बाहुबल का है सदा साथ,
सन्मार्ग पर चलना, ऊँचा रखना है माथ,
कुमार्ग, कुरीति, कुबुद्धि से सदा बचना है,
मानवता के व्यवहार से संसार बदलना है।
स्वर्ण के समान….
🖊️सुभाष कुमार यादव

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




