भीतर की यात्रा
डॉ.एच सी विपिन कुमार जैन विख्यात
भीतर की यात्रा में मिलता सुकून,
जैसे आत्मा का हो कोई मधुर गुनगुन।
अपनी ही गहराई में उतरना,
बाहरी दुनिया से किनारा करना।
विश्राम का अनुभव, स्वयं से मिलना,
अपनी ही शांति में धीरे से खिलना।
कोई अपेक्षा न हो, न कोई चाह,
बस अपने ही होने में हो राह।
यह अंतर का अनुभव है कितना सच्चा,
देता है मन को विश्राम अच्छा।
सुकून और विश्राम का यह बंधन,
आत्मा को मिलता है शाश्वत स्पंदन।