बेटा बाप बन गया एक बेटे का।
माहौल में खुशी घोले चाहत का।।
बाप का बाप फूल गया सुनकर।
दो रोटी का मंसूबा हैं स्वागत का।।
खुशी कुछ दिन रहने दे गृहस्थी में।
बड़ा असर रहा उनकी इबादत का।।
ज़माना देख रहा तमाशा 'उपदेश'।
खर्च भी नजर आ रहा दावत का।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद