कहा -सुनी हुई,
तुमसे --
लेकिन,
मेरी खामोशी...
कह दिया था,
सबकुछ--
कहा- सुनी तुमसे,
हुई --
मेरी प्रेम भरी,
ख़ामोशी...
जो कि,
अहसासों से --
निकलकर,
अल्फाजो तक--
आये थे,
जज्बात बस --
थी ख़ामोशी,
अश्कों का --
दरिया बहकर,
आया था--
तुम तक,
मेरे दर्द में --
थी ख़ामोशी l
बैठे - बैठे,
इंतजार का --
दीया जलाते,
राहों में --
भी थी ख़ामोशी,
जो हम कह,
नही पाये- -
हम कभी -कभी,
सोचते थे --
समझ जाएंगे,
मेरी ख़ामोशी...
कारण,
रूह से--
रूह का रिश्ता,
है --
तेरा मेरा,
जिसमें होती नहीं --
कोई खमोशी,
बस --
मिलन की आस,
तो फिर --
कैसी खामोशी...।
-सुरेश कुमार झा