त्याग एक नियम
त्याग जीवन का एक अनमोल हिस्सा
जन्म न त्यागा होता
तो नया जन्म न पाया होता
माँ की गोद न त्यागी होती
तो बचपन कैसे मिलता ?
न त्यागते बचपन
तो यौवन कैसे जीते ?
यौवन बीता
तो बुढ़ापा देखा
प्रकृति ने यह नियम बनाया
त्याग ही जीवन यात्रा को पूर्ण बनाता
फिर क्यों
काम ,क्रोध ,लोभ,मोह ,ईर्ष्या ,द्वेष के भाव न हमनें त्यागे?
क्यों गुणों के अभिमान न हमसे त्यागे जाएँ?
क्यों हम शोक रूपी पवन से न बच पाए?
क्यों चिन्ता रूपी काँटों की चुबन हर क्षण सहते ?
क्यों ममता की चादर समेटना नहीं चाहते ?
क्यों अहम् रूपी अन्धकार के कुँए में आज भी रोशनी ढूँढते रहते ?
क्यों ऋतुओं के बदलते हम नहीं बदलते ?
क्यों हम त्याग के सूरज को नहीं अपनाते ?
क्यों भावनाओं की जड़ता से हम दुखों का दरिया बनाते ???
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




