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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

त्याग एक नियम

त्याग एक नियम
त्याग जीवन का एक अनमोल हिस्सा
जन्म न त्यागा होता
तो नया जन्म न पाया होता
माँ की गोद न त्यागी होती
तो बचपन कैसे मिलता ?
न त्यागते बचपन
तो यौवन कैसे जीते ?
यौवन बीता
तो बुढ़ापा देखा
प्रकृति ने यह नियम बनाया
त्याग ही जीवन यात्रा को पूर्ण बनाता
फिर क्यों
काम ,क्रोध ,लोभ,मोह ,ईर्ष्या ,द्वेष के भाव न हमनें त्यागे?
क्यों गुणों के अभिमान न हमसे त्यागे जाएँ?
क्यों हम शोक रूपी पवन से न बच पाए?
क्यों चिन्ता रूपी काँटों की चुबन हर क्षण सहते ?
क्यों ममता की चादर समेटना नहीं चाहते ?
क्यों अहम् रूपी अन्धकार के कुँए में आज भी रोशनी ढूँढते रहते ?
क्यों ऋतुओं के बदलते हम नहीं बदलते ?
क्यों हम त्याग के सूरज को नहीं अपनाते ?
क्यों भावनाओं की जड़ता से हम दुखों का दरिया बनाते ???
वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

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Lekhram Yadav said

आपने त्याग को अमरत्व प्रदान कर दिया, अपनी बेहद खूबसूरत रचना से, आपको सादर नमस्कार

वन्दना सूद replied

🙏🙏

कमलकांत घिरी said

बेहद खूबसूरत, बहुत अच्छी संस्कार और विचार से प्रभावित यह रचना बहुत ही शानदार है मैम जी, आपकी रचनाओं से बहुत कुछ सीखने को मिलता है हमें 😊आपको मेरा सादर प्रणाम 🙏

वन्दना सूद replied

लेखन वही अच्छा जो अपने साथ औरों को भी रोशनी दिखाए 🙏🙏बस यही प्रयास रहता है हमेशा

Devraj malviya said

संपूर्ण जीवन में त्याग कर ही कुछ अच्छा पाया जा सकता है बहुत सत्य विचार वंदना जी

वन्दना सूद replied

शुक्रिया जी 🙏🙏😊

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