प्रिया सुनो न ,
ये सावन कितना प्यारा है
ये वर्षा लेकर आया है
ये सुखद सभी को लगता है
जीवन को सिंचित करता है ,
यौवन का अध्याय नया
हरियाली हमने ओढ़ी है
एक पुष्प खिलाएंगे मिलके
जो सिंचित होगा अश्रु से
श्रृंगार प्रकृति का प्यारा है
अब इसमें कोई ओछ नहीं
कमतर सा इसमें कुछ भी नहीं
यह सबमें प्यारा लगता है
प्रिया सुनो न ,
सावन की रिमझिम ऐसी है
जैसी मीठी सी बातें हो
इसमें भी तडपन ऐसी है
चुभती वो विरही राते हो
तुम क्या अब मौन लिया मन में
कुछ बोलो न यूं चुप न रहो
यह पल पल बहता जाएगा
ये तो अनंत पथ जाएगा
जाने उसमें क्या क्या होगा
इस पल को व्यर्थ न जाने दो
अब कह भी दो आंखों से ही
ये लफ्ज़ तुम्हारे बंद अगर
आंखों से आंखों में कहके
उतरो इस मंदिर के अंदर
प्रिया सुनो न ,
ये सावन है कुछ ही पल का
बस धीरज डोला जाता है
सब कुछ सब कुछ नश्वर सा है
ये देख के जी घबड़ाता है
जब ध्यान काल का जागेगा
सब जटिल शून्य हो जाएगा
उस शून्य की ओर निहारो प्रिए
हम उस बिंदु के साथी हैं
इस मौन से अब भय लगता है
तुम चुप न रहो अब बरस पड़ो
हम भीगेंगे उस वर्षा में
फिर बीहड़ तो होना ही है
फिर हरियाली आएगी
फिर वर्षा होगी प्रिया सुनो
हम गायेंगे गीतों में तुम्हे
आखिर बीहड़ तो होना है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




