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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

सुना है ज़न्नत की चाभी तुम्हारे पास है।

सुना है ज़न्नत की चाभी तुम्हारे पास है।
क्या ले चलोगे हमें भी अपने साथ हमतो यूँ भी तुम्हारे खास है।।1।।

अहसान मानेंगें तुम्हारा हम तमाम उम्र।
अगर दिखाओगे प्यारा नज़ारा हमको जो फिरदौस ए खास है।।2।।

यूँ तो नेकी बदी के हिसाब से जातें है।
अब क्या बताये हम तुमको थोड़ी कम नेकियां हमारे पास है।।3।।

सुना है वह जगह है बस खुशियों की।
फैला है वहाँ हर सम्त सुकूँन ना गम की कोई काली रात है।।4।।

भीड़ तो बहुत लगी है जाने वालों की।
पर जायेगा वही जिसके पास प्यारे नबी मुहम्मद का साथ है।।5।।

सारी जिंदगी तिश्नगी में बीती है हमारी।
सुना है ज़न्नत में बुझती है हर किसी की हो कैसी भी प्यास है।।6।।

एक ही सफ में देखा अमीर गरीब को।
पियेगा वो ज़ाम ए कौसर जिसके सर पर नेकियों का ताज है।।7।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Lekhram Yadav said

बहुत सुन्दर, सुप्रभात ताज भाई लेकिन इतने दिन से कहां भूमिगत थे।

वन्दना सूद said

क्या बात !!पियेगा वो ज़ाम ए कौसर जिसके सर पर नेकियों का ताज है।🙌🏻🙌🏻🙏🙏

Komal Raju said

Waah bahut hi gahre vichar hain.

रीना कुमारी प्रजापत said

बहुत बढ़िया, हां ताज साहब कहां थे आप इतने दिनो से हम तो आपकी गजलों को पढ़ने के लिए बड़े बेचैन थे

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