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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

छोड़ आई मैं

छोड़ आई मैं वो घर,
जहाॅं सुबह मेरी मुस्कुराहट से
हुआ करती थी। (2)
छोड़ आई मैं वो शहर,
जहाॅं मेरी बड़ी इज़्ज़त हुआ करती थी।

आज भी बड़ी ही इज़्ज़त है उस शहर में मेरी,
आज भी बड़ा ही मान सम्मान है उस घर में मेरा।
बस अब कुछ लोग ऐसे आ गए हैं उस घर में, जिन्होंने बहुत दिल दुःखाया है मेरा।

छोड़ आई मैं वो रिश्ते नाते,
जिन्हें अपनी जान से ज्यादा
प्यार करती थी मैं।(2)
छोड़ आई मैं उन्हें,
जिन्हें अपनी आंखों से एक पल भी
दूर ना होने देती थी मैं।

आज जो अपनों से दूर हूॅं मैं,
ये सब उस नाचीज़ की करनी है।(2)
आज उस कमबख़्त की वजह से,
मेरी आंखों में पानी ही पानी है।

छोड़ आई मैं वो गली मोहल्ला,
जहाॅं हर रोज लोग अपने दिन की शुरुआत
मेरी सूरत देखकर किया करते थे।(2)
छोड़ आई मैं वो खेत खलिहान,
जो मुझे बहुत प्यारे थे।

अब पता नहीं,
वो घर, वो गली मोहल्ला
फिर मिलेगा या नहीं।(2)
वो खेत, वो खलिहान,
मेरी गैर मौजूदगी में
फिर खिलेगा या नहीं।
"रीना कुमारी प्रजापत"







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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

सर्वप्रथम - प्रणाम स्वीकार करें रीना Mam, दूसरा बहुत ही सुन्दर रचनात्मक रवैया उसके तो क्या ही कहने, तीसरा जिस दिन हमारी रीना Mam, हँसते मुस्कुराते दिखेंगी अपनी रचनाओं में उस दिन माँ सरस्वती जी का नाम लेकर १०१ रुपये का प्रसाद वितरित करूँगा, सच में ऐसा करूँगा, यद्यपि मैं समझता हूँ और आप भी डिस्क्लेमर दे चुकी हैं की आपकी रचनायें कल्पनाशीलता या समाज में व्याप्त सामाजिक दिनचर्या पर होती हैं उसके बावजूद भी जिस दिन आपकी कलम से हंसती मुस्कुराती रचना आएगी तो उसका तात्पर्य यह होगा की कहीं न कहीं रीना Mam, ने किसी को हँसते मुस्कुराते देखा है तभी कलम भी मुस्कुरा गयी है और उस दिन मुझे माँ सरस्वती के चरणों में १०१ रुपये का प्रसाद चढ़कर वितरित करने में बहुत ही हर्ष होगा

रीना कुमारी प्रजापत replied

प्रणाम भय्या 🙏 बहुत बहुत आभार आपका, आपकी ये प्रतिक्रिया पाकर मन प्रफुल्लित हो उठा 😊

Komal Raju said

True feelings ..👌👌

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया जी

Lekhram Yadav said

जिस घर और जगह के साथ इतनी यादें जुड़ी हों उन्हें भुलाना और दुबारा हासिल करने का अवसर सभी को नहीं मिलता मेरी प्यारी ब।ना। आपने अपनी यादों को बड़े सलीके से पेश किया है, बहुत अच्छा लगा मुझे।

रीना कुमारी प्रजापत replied

🙏🙏 शुक्रिया

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