लब सी लेंगे कुछ न कहेंगे कर लो तुम चाहे जितना सितम
मगर भर जाएगा घड़ा पाप का मत करो इतना अधर्म
जो बोओगे वही पाओगे बचपन से मिली यही सीख हमें
सच है लौटकर आएगा कर्मा वही जो करोगे करम
वजह से तुम्हारे गिरेंगे मोती जितने जिसकी आँखों से
फिर चुकानी नहीं पड़ेगी तुम्हें क़ीमत उसकी न पालो ये भ्रम