अपनी बाते उसकी बातें हो राधे कृष्ण बन जाए।
वो साथी मिले जिससे दिल की हर बात हो जाए।
तन्हाई में हमेशा बातों बातों में मुलाकात हो जाए।
रब से भी ज्यादा हमको उसका विश्वास हो जाए।
ढूंढ रहे ऐसा दिलबर जो सपनो में ही मिल जाए।
रात भर सपनों में इतराले सुबह उसे भूल जाए।
अपने ग़म को बताकर अपने सब दर्द भुल जाए।
कोई मिले ऐसा हमसफ़र जिसे हम नजर आए।
समझते बहुत है हमें मगर क्यों नजर नहीं आए।
राधे कृष्ण की तरह मिलने से वह क्यों घबराए।
दिल की दवा दिल ही बनता फिर क्यों शर्माए।
हाले दिल का हाल पूछे कुछ अपना भी बताए।
रात भर सपनों में जो आकर धीरे से मुस्कराए।
सकून दे जिंदगी को कही तो प्यार नजर आए।
अपनी बाते उसकी बातें हो राधे कृष्ण बन जाए।
वो साथी मिले जिससे दिल की हर बात हो जाए।
सत्यवीर वैष्णव बारां राजस्थान